इटावा के बकेवर जनता कॉलेज द्वारा संचालित विभिन्न क्रियाकलापो के क्रम में *रावे* कार्यक्रम के अंतर्गत महेवा ब्लाॅक के ग्राम पुठियां में प्राचार्य डॉ राजेश किशोर त्रिपाठी के निर्देशन में कृषक गोष्ठी/ प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।
कृषक गोष्ठी के संयोजक डॉ एमपी सिंह ने कहा कि किसानों को खेती-बाड़ी से अधिक आय प्राप्त करने के लिए सभी कृषि क्रियाएं जैसे जुताई ,बुवाई ,निराई सिंचाई, खरपतवार नियंत्रण, कीट एवं रोग नियंत्रण ,कटाई व मढाई समय से करने चाहिए, साथ ही कहा कि सुरक्षित फसलोत्पादन के लिए जो किसान अंधाधुंध रसायनों जैसे उर्वरकों कीटनाशकों, फफूंदीनाशक एवं खरपतवारनाशियों का प्रयोग कर रहे हैं, उन्हें रसायनों का कम से कम प्रयोग करके जैव उत्पादों का प्रयोग जैसे गोबर की खाद, कंपोस्ट खाद ,वर्मी कंपोस्ट, बायो फंजीसाइड ,बायो इंसेंटिसाइड के प्रयोग के साथ-साथ शस्य व यांत्रिक विधियों का प्रयोग करना चाहिए, जिससे भूमि, जल मनुष्य, पशु व पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा। धान- गेहूं फसल चक्र के स्थान पर सघन फसल चक्र जैसे उर्द -सरसों -कद्दू वर्गीय फैसले या मूंग -आलू -मूंगफली या मक्का -लाही- गेहूं -मूंग आदि सुरक्षित फसल चक्र अपनाने चाहिए, फसल चक्र में दलहन वर्गीय फसलों को शामिल करें। गेहूं की एचडी 2967 प्रजाति का नवंबर माह में बुवाई करें। सरसों में विरलीकरण,टॉपिक व शस्य रसायनों का प्रयोग करके उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। आलू में रोग प्रतिरोधक क्षमता रखने वाली व उच्च उपज देने वाली प्रजातियों को उपचारित करके बोना चाहिए। रावे संयोजक डॉ पीके राजपूत ने भूमि एवं जल संरक्षण तकनीकी के अंतर्गत बताया कि खेत का पानी खेत में रखने के लिए खेत का समतलीकरण मेड़बंदी करके गर्मियों में गहरी जुताई करनी चाहिए। साथ ही फसल अवशेषों को खेत में जोत कर मिलाने के पश्चात सिंचाई कर देनी चाहिए जिससे वह पूर्ण रूप से डीकंपोज्ड हो जाएं। साथ ही खेत में सनई की हरी खाद करने से खरपतवार भी कम होते हैं और खेत भी मजबूत होता है। डॉक्टर एपी सिंह ने कहा कि विभिन्न वैज्ञानिक विभिन्न प्रकार की तकनीकी पैदा करते हैं यदि सही समय पर किसानों तक वह तकनीकी नहीं पहुंच पाती है तो वह औचित्यहीन हो जाती है इसलिए जनता कॉलेज बकेवर के विद्यार्थियों द्वारा नवीनतम तकनीकी ज्ञान किसानों तक पहुंचाने के लिए कॉलेज गांव अडॉप्ट करता है और संबंधित गांव में विद्यार्थी जाकर नवीनतम तकनीकी की जानकारी देते हैं।
उद्यान विज्ञान के डॉक्टर आनंद सिंह ने फल उत्पादन एवं सब्जी उत्पादन की नवीनतम तकनीकी की जानकारी देते हुए किसान क्रेडिट कार्ड व लाभकारी योजनाओं की जानकारी दी। डॉ एस के एस चंदेल ने समन्वित पोषक तत्व प्रबंधन एवं उर्वरकों के सही प्रयोग की जानकारी देते हुए कहा कि फसलों में आवश्यकतानुसार ही किसानों को खाद एवं उर्वरक देना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन कॉलेज क्रियाकलाप समिति के संयोजक डा डीजे मिश्रा ने किया तथा गोष्ठी की अध्यक्षता गांव के ही किसान हरगोविंद सिंह ने की और अंत में सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया।