इटावा महोत्सव में एक बार फिर लापरवाही का बड़ा उदाहरण सामने आया है। महोत्सव में लगे 60 फीट ऊंचे आसमानी झूले का एक बोगी लगभग 30 फीट की ऊंचाई पर टूटकर गिर गई। इस हादसे में कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। इनमें से एक व्यक्ति की हालत गंभीर होने के कारण उसे सैफई मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया है।
पिछली घटनाओं से नहीं ली सीख
यह पहली बार नहीं है जब इटावा महोत्सव में ऐसा हादसा हुआ है। पिछले वर्ष भी झूलों में खराबी के कारण दुर्घटना हुई थी, जिसके चलते कई लोगों की जान जोखिम में पड़ी थी। इसके बावजूद प्रशासन और झूला ठेकेदारों ने सुरक्षा मानकों को अनदेखा किया, जिससे यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई।
सुरक्षा मानकों की खुली अनदेखी
हादसे के बाद झूला ठेकेदार और कर्मियों की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। झूलों की समय-समय पर जांच और मरम्मत के लिए कोई ठोस प्रक्रिया अपनाई गई होती, तो शायद यह दुर्घटना टाली जा सकती थी। इसके अलावा, झूला संचालन के दौरान सुरक्षा उपायों की कमी ने खतरे को और बढ़ा दिया।
मीडिया और स्थानीय लोगों का आक्रोश
स्थानीय मीडिया कर्मियों ने इस हादसे को लेकर प्रशासन की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने पहले ही पिछली दुर्घटनाओं का हवाला देते हुए महोत्सव में बेहतर सुरक्षा इंतजाम की मांग की थी। इसके बावजूद ठेकेदार और झूला संचालकों ने किसी भी सबक को नजरअंदाज कर दिया।
प्रशासन से उचित कार्रवाई की मांग
घटना के बाद स्थानीय लोगों और पीड़ितों के परिजनों में भारी रोष है। वे झूला ठेकेदार और महोत्सव आयोजन समिति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। साथ ही, यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।
सुरक्षा के प्रति जिम्मेदारी जरूरी
इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि सुरक्षा मानकों को लेकर किसी भी प्रकार की लापरवाही गंभीर परिणाम ला सकती है। प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि झूला ठेकेदारों और कर्मियों पर नियमित निगरानी रखी जाए और हर झूले की तकनीकी जांच को अनिवार्य बनाया जाए।
यह हादसा एक गंभीर चेतावनी है, जो बताता है कि मनोरंजन के साथ-साथ सुरक्षा की अनदेखी कितनी खतरनाक हो सकती है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस घटना से क्या सबक लेता है।